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सबरीमाला रवाना हुआ अय्यप्पा स्वामी के भक्तों का जत्था, इकचालीस दिनों के व्रत के बाद संपन्न हुआ इरूमुड़ी विधान

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जगदलपुर।इकतालीस दिनों की मंडल दीक्षा पूर्ण कर चुके अय्यप्पा स्वामी के भक्त रविवार शाम जगदलपुर से सबरीमाला के लिए रवाना हो गए हैं। जत्थे में शामिल भक्तगण आगामी 5 दिसंबर को सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यप्पा स्वामी के दर्शन करेंगे।आज अपने 41 दिनों की मंडल दीक्षा पुर्ण कर चुके भक्तों ने स्थानीय बालाजी मंदिर परिसर में इरूमुड़ी विधान संपन्न किया। पूजा के पश्चात श्री बालाजी मंदिर में उपासकों द्वारा भंडारे का आयोजन भी किया गया था जिसमें सैकड़ों भक्तों ने शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया।

इस अवसर पर बस्तर जिला आंध्र समाज और श्री बालाजी टेंपल कमेटी के पदाधिकारियों सदस्यों के अलावा उपासकों के परिजन विशेष रूप से उपस्थित रहे। इरूमुड़ी पुजा के तहत गुरु स्वामी चप्पा श्रीनिवास राव, वानरासी श्रीनिवास राव, बीडीवी जगदीश, व्यंकट रमणा, वीरभद्र राव सहित 29 अन्य कन्नी स्वामियों ने अपने परिजनों और इष्ट मित्रों की उपस्थिति में विशेष पूजा अर्चना किया। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि, इस वर्ष पहली मर्तबा एक 6 वर्षीय बालिका कुंदना दंतेश्वरी भी सबरीमाला जाने वाले दर्शनार्थियों में शामिल है।

बता दें कि अय्यप्पा स्वामी के भक्त विगत इकचालीस दिनों से भगवान अय्यप्पा स्वामी की उपासना कर रहे हैं। इकचालीस दिनों से यह सभी भक्त अपने-अपने घरों से दूर बालाजी मंदिर में ही रहकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। इस दौरान सभी उपासक दिन में तीन बार सुबह 4:00 बजे, दोपहर 1:00 बजे और रात्रि 8:00 बजे की पूजा में शामिल रहते थे। इस बीच दर्शनार्थ सबरीमाला जाने वाले सभी भक्तों को सिर्फ काले रंग की एक धोती और एक गमछे के सहारे ही अपना गुज़ारा करना पड़ता है।कड़ाके की ठंड में भी उपासकों को उसी धोती और गमछे का ही सहारा होता है। इसी तरह कठोर व्रत का पालन करते हुए अब 5 दिसंबर को सबरीमाला में दर्शन के पश्चात भक्त अपना व्रत पूरा करेंगे।

इरुमुड़ी सर पर रख कर दर्शन के लिए रवाना हुए भक्त

इरुमुड़ी अर्थात पूजन सामग्री से भरी गठरी लेकर भक्त सबरीमाला रवाना हुए हैं। सर पर रखी गठरी में भक्त नारियल के अंदर भर कर रखी घी, चांवल, श्रृंगार सामग्री, हल्दी-कुमकुम आदि पूजन सामग्री बांधकर सबरीमाला जाते हैं। शबरीमाला मंदिर में उपासक नारियल में रखी घी से दीप प्रज्वलित कर अन्य पूजन सामग्री मंदिर में चढ़ावे के रूप में चढ़ाते हैं।