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हाथों में रूसी राइफल, इजरायल की बर्बादी की कसम; खामेनेई ने खुमैनी मस्जिद से US को भी दी चुनौती…

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ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत क याद में आयोजित शुक्रवार की प्रार्थना सभा में एक जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।

इस दौरान उनकी हाथों में रूस निर्मित ड्रैगुनोव राइफल थी। खामेनेई ने हजारों समर्थकों को उपदेश दिया। वे सभी इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ लड़ाई में मारे गए ईरानी नेताओं की तस्वीर रखे हुए थे।

राइफल के साथ खामेनेई ने प्रतिरोध पर जोर दिया। खामेनेई ने जोर देकर कहा कि ईरान इजरायल की आक्रामकता के सामने पीछे नहीं हटेगा।

खामेनेई ने चेतावनी दी कि इजरायल लंबे समय तक नहीं टिकेगा। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को सभी इस्लामी देशों में अपनी सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच इजरायल पर फिर से हमला करने की कसम खाई।

इससे पहले उन्होंने लगभग पांच साल पहले ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर कासिम सोलेमानी की मृत्यु की याद में शुक्रवार की नमाज़ का नेतृत्व किया था।

खमेनेई ने धर्मोपदेश के दौरान यह भी कहा कि हर देश को हमलावरों से खुद का बचाव करने का अधिकार है। उन्होंने इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमले को कानूनी और वैध बताया।

यह धर्मोपदेश ऐसे समय में आया है जब ईरान ने इस सप्ताह की शुरुआत में नसरल्लाह की हत्या के जवाब में इजरायल पर मिसाइल हमले का आदेश दिया था। ईरान ने नसरल्लाह और ईरान से जुड़े अन्य प्रमुख लोगों की हत्या के जवाब में लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं।

‘नसरल्लाह अब हमारे बीच नहीं हैं’

अपने भाषण के दौरान ईरानी नेता ने कहा, “सैय्यद हसन नसरल्लाह अब हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनका मार्ग और उनकी गूंजती आवाज हमारे साथ है और रहेगी।

वे उत्पीड़ितों की मुखर आवाज और बहादुर समर्थक थे।” खामेनेई ने कहा कि ईरान का दुश्मन फिलिस्तीन, लेबनान, इराक, मिस्र, सीरिया और यमन का दुश्मन है।

उन्होंने कहा, “दुश्मन हर जगह एक खास तरीके से काम कर रहा है, लेकिन ऑपरेशन रूम एक ही है और वे वहीं से आदेश लेते हैं।

अगर दुश्मन को एक देश से छुटकारा मिल जाता है, तो वह अगले देश में चला जाएगा।”

उन्होंने इजरायल का जिक्र करते हुए कहा, “फिलिस्तीनी राष्ट्र को उस दुश्मन के खिलाफ खड़े होने का अधिकार है जिसने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया है और उसका जीवन बर्बाद कर दिया है।

फिलिस्तीनियों की रक्षा करना वैध है और उनकी मदद करना भी वैध है।”

खामेनेई ने इमाम खुमैनी मस्जिद को क्यों चुना?

खामेनेई ने ऐतिहासिक इमाम खुमैनी मस्जिद में दुर्लभ शुक्रवार का उपदेश दिया। इस मस्जिद ने 1979 की इस्लामी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

18वीं शताब्दी में निर्मित इमाम खुमैनी मस्जिद ईरान के सबसे महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प स्थलों में से एक है। यह तेहरान में स्थित है।

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