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एसबीआई के पूर्व सहायक महाप्रबंधक और पांच परिजनों को तीन साल की जेल, 33 लाख रुपये जुर्माना

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भोपाल ।    सीबीआई की विशेष अदालत ने एसबीआई के पूर्व सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र प्रताप सिंह और उनके परिवार के पांच अन्य सदस्यों को आय से अधिक संपत्ति के मामले में तीन साल की कठोर कैद और 33,47,250 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला 2005 से लंबित था, जिसमें सीबीआई ने जांच के बाद आरोपियों पर भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाया। सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार शर्मा ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र प्रताप सिंह और उनके परिवार के पांच अन्य सदस्यों को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, अदालत ने सिंह पर 3,47,250 रुपये का जुर्माना भी लगाया। सीबीआई ने 30 जून 2005 को जितेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 1 जनवरी 1999 से 2 अप्रैल 2005 के बीच अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर लगभग 19,17,684 रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक थी। जांच के दौरान भोपाल और बिलासपुर में सिंह के आवासीय परिसरों पर छापेमारी की गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज, आभूषण और नकदी जब्त किए गए।

जांच पूरी होने के बाद 24 अगस्त 2007 को सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। आरोप था कि जितेंद्र प्रताप सिंह ने विभिन्न स्थानों पर एसबीआई में सहायक महाप्रबंधक के रूप में काम करते हुए 37,13,113.95 रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी आय के स्रोतों से 143% अधिक थी। सिंह इस संपत्ति का संतोषजनक विवरण प्रस्तुत नहीं कर सके। विशेष अदालत ने 27 फरवरी 2008 को जितेंद्र प्रताप सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) और 13(1)(ई) के तहत आरोप तय किए। केस के दौरान सीबीआई ने 94 गवाहों के बयानों और पुख्ता सबूतों के माध्यम से अभियोजन पक्ष का मजबूत पक्ष प्रस्तुत किया, जिसके परिणामस्वरूप सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया। विशेष न्यायाधीश ने जितेंद्र प्रताप सिंह के अलावा उनके परिवार के सदस्यों- किरण सिंह, नम्रता सिंह, गरिमा सिंह, अन्वेशा सिंह और समीर सिंह को भी एक साल की कठोर कैद और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया।