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हाईकोर्ट ने दिया निर्देश, राज्यसभा चुनाव की हॉर्स ट्रेडिंग सीडी की जांच करेगी CBI

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झारखंड में वर्ष 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग मामले में हाई कोर्ट ने सीबीआई को सीडी की जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने प्रार्थी को याचिका की कॉपी तथा राज्य सरकार की आपत्ति भी सीबीआई को देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।

मामले की सीबीआई जांच के लिए दानियल दानिश ने याचिका दायर की है। याचिका में वर्ष 2016 में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के लिए बड़कागांव की तत्कालीन विधायक निर्मला देवी को प्रलोभन देने व उनपर दबाव डालने के आरोपों को लेकर सीआइडी के तत्कालीन एडीजी और वर्तमान डीजीपी अनुराग गुप्ता तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रेस सलाहकार अजय कुमार की भूमिका की सीबीआई जांच कराने का आग्रह अदालत से किया गया है।

याचिकाकर्ता ने अदालत में क्या बताया?

प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने के मामले में जगन्नाथपुर थाना में अनुराग गुप्ता, अजय कुमार एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज गई थी। पूर्व में हाईकोर्ट में इसी मामले में निर्मला देवी के पति व पूर्वी मंत्री योगेंद्र साव की सीबीआई जांच करने की याचिका की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से कोर्ट को प्राथमिकी दर्ज होने की जानकारी दी गई थी।

हालांकि, अनुराग गुप्ता के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई हुई है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं दी गई। उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया था कि अनुराग गुप्ता के खिलाफ पीसी एक्ट अब तक नहीं लगाया गया है। अनुराग गुप्ता एवं अन्य पर तत्कालीन राज्यसभा प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी एवं महेश पोद्दार के पक्ष में मतदान के लिए प्रलोभन देने का आरोप है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में योगेंद्र साव द्वारा मामले की सीबीआई जांच कराने का आग्रह हाईकोर्ट ने पूर्व में ही खारिज कर दिया है। है। प्रार्थी न तो मामले मे सूचक है और न ही गवाह है। इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

क्या है पूरा मामला

साल 2016 में राज्यसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने एक आडियो टेप जारी किया था। इस कथित टेप में एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, उनके पति योगेंद्र साव के बीच बातचीत की बात सामने आई थी।

मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी। शुरुआती जांच के बाद निर्वाचन आयोग ने एफआइआर कराने का आदेश दिया था। गृह विभाग के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर सरकार ने तब जगन्नाथपुर थाना में मामला दर्ज कराया था।