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इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्शन से बचने के लिए पॉलिसी लेते वक्त इन 5 बातों का रखें ध्यान

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आज इंश्योरेंस हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। इसे लेकर जागरूकता भी काफी बढ़ी है। अब लोग लाइफ और हेल्थ के साथ घर और दुकान जैसी चीजों का भी बीमा कराने लगे हैं। इससे परिवार का वित्तीय भविष्य सुरक्षित होता है। हालांकि, कई लोग शिकायत करते हैं कि बीमा कंपनियां इंश्योरेंस क्लेम देने में आनाकानी करती हैं। कई बार तो क्लेम ही रिजेक्ट कर देती हैं।

आइए जानते हैं कि इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम रिजेक्ट क्यों करती हैं और क्लेम रिजेक्शन से बचने के लिए क्या करें। साथ ही, गलत तरीके से क्लेम रिजेक्ट होने पर कहां शिकायत करें।

इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने की वजह

श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के चीफ अंडरराइटिंग ऑफिसर शशिकांत दहूजा का कहना है कि अगर आपने इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय कोई गलत जानकारी दी है, तो आपका क्लेम रिजेक्ट होने की पूरी आशंका रहती है। इसलिए उम्र और स्वास्थ्य जैसी जानकारियों को सावधानी से भरना चाहिए और उसे क्रॉस चेक जरूर करना चाहिए। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो उसका भी खुलासा कर देना चाहिए। साथ ही, बीमा पॉलिसी के प्रीमियम का भी वक्त भी पर भुगतान करते रहना चाहिए, ताकि पॉलिसी लैप्स न हो।

क्लेम रिजेक्शन से बचने के लिए क्या करें

बीमा पॉलिसी लेते समय से कई लोग लापरवाही बरतते हैं। दहूजा का कहना है कि आपको पॉलिसी लेने से पहले मूल्यांकन कर लेना चाहिए कि आपको किस चीज की सुरक्षा की जरूरत है। चाहे वह आपका स्वास्थ्य, घर, गाड़ी या फिर व्यवसाय हो, ताकि यह सुनिश्चित किया सके कि आपको वाजिब कवरेज मिले। कई बार लोग सस्ती पॉलिसी के चक्कर में महत्वपूर्ण कवरेज छोड़ देते हैं, जिसका उन्हें बाद में नुकसान होता है। आपको बीमा क्लेम लेते वक्त पॉलिसी और क्लेम सेटलमेंट की तुलना भी कर लेनी चाहिए।

क्लेम रिजेक्ट होने पर क्या करें

बीमा क्लेम रिजेक्ट होना जाहिर तौर पर काफी निराशाजनक होता है। अब इस स्थिति में कुछ कदम उठा सकते हैं। श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के दहूजा का कहना है कि सबसे पहले बीमा कंपनी के अस्वीकृति पत्र को ध्यान से पढ़ना चाहिए। अगर क्लेम किसी गुम या अधूरी जानकारी के लिए चलते रिजेक्ट हुआ है, तो उसे सुधार करके दोबारा क्लेम सबमिट कर सकते हैं। वहीं, अगर क्लेम किसी गलत कारण से रिजेक्ट हुआ है, तो आपको बीमा कंपनी से संपर्क करना चाहिए। अगर कंपनी आपकी बात नहीं सुनती, तो आप उसके खिलाफ सभी साक्ष्यों के साथ इंश्योरेंस रेगुलेटर- भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के पास भी अपील कर सकते हैं।