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वाणी का हमेशा रखें ध्यान

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हमारी वाणी भी जीवन में अहम भाव रखती है और यह बिगड़ जाये तो जीवन कष्टकारी होने में देर नहीं लगती, इसलिए अपनी वाणी हमेशा अच्छी होनी चाहिये। अगर ऐसा नहीं होता तो हमें विपरीन हालातों का सामना करना पड़ता है। कई बार ग्रह दशा से भी वाणी खराब हो जाती है।
कुंडली का दूसरा, तीसरा और आठवां भाव वाणी से सम्बन्ध रखता है। इन भावों में अशुभ ग्रह होने से वाणी दूषित हो जाती है। वैसे वाणी को सबसे ज्यादा दूषित राहु और मंगल करते हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति अनाप शनाप बोलता है। शनि का प्रभाव होने से अपशब्द बोलने की आदत पड़ जाती है। बुध के दूषित होने पर भी व्यक्ति अपशब्द बोलता है हालांकि ऐसी दशा में व्यक्ति अपशब्द हमेशा नहीं बोलता।
अपशब्द बोलने के परिणाम अच्छे नहीं होते और प्रगति रुक जाती है।
अपशब्द बोलने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर सीधा असर पड़ता है।
व्यक्ति के जीवन में धन के मामले में उतार चढ़ाव बने रहते हैं।
ऐसे लोगों को गले या मुंह की बीमारी की संभावना भी होती है।
इनका बुध कमजोर होता जाता है।
इसलिए याददाश्त और बुद्धि की समस्या भी निश्चित होती है।
इनको निश्चित रूप से जीवन में पतन का सामना करना पड़ता है।
ऐसे लोग जानबूझकर आफत को अपने पास बुला लेते हैं।
कैसे ठीक करें अपशब्द बोलने की आदत को?
प्रातःकाल सूर्य को अर्घ्य दें।
इसके बाद बोल बोलकर गायत्री मन्त्र का जप करें।
प्रातःकाल तुलसी के पत्ते जरूर खाएं।
खान पान को हमेशा शुद्ध रक्खें।
भोजन में दूध से बनी हुयी चीज़ों की मात्रा बढ़ा दें।
सलाह लेकर एक लेब्राडोराइट धारण करें।
हरे रंग का प्रयोग करना भी लाभकारी होगा।