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छत्तीसगढ़-रायपुर के मेयर का ‘लाइट मेट्रो जनता के साथ धोखा’, मूणत बोले ने बताया चुनावी सब्जबाग

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रायपुर.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक राजेश मूणत ने रायपुर में लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए रूस और रायपुर मेयर एजाज ढेबर के बीच एमओयू पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने मेयर पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि रायपुर के मेयर ने फिर से जनता के साथ छलावा किया है। ये एमओयू का क्या वैल्यू है?

रायपुर समेत प्रदेश नगरीय निकाय के चुनाव को देखते हुए मेयर ने लोगों को झूठा सब्जबाग दिखाया है। मास्को में ट्रांसपोर्ट ऑफिसर के साथ एमओयू किया है। इसमें राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं है। यहां तक की राज्य सरकार को कोई जानकारी ही नहीं है। इस बैठक में नगर निगम का कोई वरिष्ठ अधिकारी नहीं है। जब एमओयू होता है तो दो पार्टियों के बीच में, दो सरकारों के बीच में प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से संपन्न होता है। इसमें न नगर निगम का कोई कमिश्नर और न ही कोई प्रतिनिधि। उन्होंने दावा करते हुए मेयर ढेबर मास्को (रूस) में जिस परिवहन विकास विभाग की बैठक में हिस्सा लेने की बात कह रहे हैं, उसका निमंत्रण मास्को शहर के डिप्टी मेयर ने दिया था न कि वहां की सरकार ने। मेयर ढेबर की यह यात्रा व्यक्तिगत है, इसका खर्चा वो खुद ही उठाये थे। छत्तीसगढ़ सरकार से इसकी कोई अनुमति नहीं ली गई थी। वो रायपुर में लाइट मेट्रो ट्रेन के लिए जिस एमओयू की बात कर रहे हैं, ऐसा एमओयू दूसरे देश के साथ तभी हस्ताक्षरित होता है, जब संबंधित विभाग-पदाधिकारी केंद्र सरकार की कैबिनेट समिति से मंजूरी लें। उन्होंने कहा कि अगर मेयर ने कथित एमओयू पर दस्तखत किए हैं, तो इसकी भारत में कोई वैधता ही नहीं है क्योंकि यह उनकी व्यक्तिगत यात्रा है, जिसमें वे सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं। मेयर ढेबर इस समय मास्को में हैं और उन्होंने वहीं से यहां मीडिया को बताया था कि उन्होंने रायपुर में लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एमओयू मास्को में परिवहन शिखर सम्मेलन के दौरान किया गया है। वरिष्ठ विधायक राजेश मूणत ने इसी एमओयू को निशाने पर लिया है और दावा किया है कि कोई भी पदाधिकारी व्यक्तिगत तौर पर किसी अन्य देश में गया हो और वहां कोई भी समझौता करते रहे, तो यह सरकारी तौर पर पूरी तरह अमान्य होगा।

'मेयर ने पर्सनल यात्रा की, खुद किये खर्च'
वरिष्ठ विधायक ने दावा किया कि मेयर ढेबर की यात्रा पूरी तरह से व्यक्तिगत है। इसका खर्च खुद मेयर उठा रहे हैं। राज्य सरकार से इस यात्रा के लिए न अनुमति ली गई और न ही राज्य ने दी है। इसलिए उनका यह दौरा सरकारी नहीं बल्कि पूरी रह व्यक्तिगत है। मूणत ने तमाम प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में कोई भी मंत्रालय या विभाग किसी विदेशी देश के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर तभी कर सकता है, जब उसे कैबिनेट या कैबिनेट समितियों से स्वीकृति मिलती है। इस तरह यात्रा में मेयर सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वे जो भी कर रहे हैं, वह पूरी तरह व्यक्तिगत क्षमता में किया जा रहा है, इसलिए उनकी ओर हस्ताक्षरित किसी भी एमओयू को सरकारी समझौता नहीं माना जा सकता।

'एमओयू वाली बात नहीं'
राजेश मूणत ने बताया कि कथित एमओयू में रायपुर और मास्को के बीच लाइट मेट्रो विकसित करने में सहयोग का उल्लेख किया गया है। यह ऐसा कैसा एमओयू है, जिसमें यही नहीं बताया गया कि फंड कैसे आएगा। मेट्रो रेल बनाने के लिए तकनीक का हस्तांतरण कैसे होगा? इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार की भूमिका क्या रहेगी। एमओयू में प्रारंभिक सर्वेक्षण और कार्यान्वयन योजना का भी कोई उल्लेख नहीं है। रायपुर नगर निगम के मेयर को मास्को में परिवहन और सड़क बुनियादी ढांचा विकास विभाग के प्रमुख द्वारा मास्को के डिप्टी मेयर से व्यक्तिगत निमंत्रण प्राप्त हुआ था। यह निमंत्रण व्यक्तिगत था और किसी राष्ट्रीय या राज्य सरकार की एजेंसी से नहीं आया था।