केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण(CCPA) ने दिल्ली में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करवाने वाले एक कोचिंग संस्थान पर भ्रामक विज्ञापनों और गलत तथ्य बताने वाले मामले में दोषी पाया, जिसके बाद इस कोचिंग संस्थान पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
सीसीपीए की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने बताया कि कोचिंग संस्थान की जांच के बाद यह फैसला लिया गया है।
संस्थान ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, जो उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक, गलत या झूठे विज्ञापनों और तत्थों को छुपाने पर रोक लगाता है।
खरे ने कहा कि श्रीराम आईएएस के दो दावों की जांच की गई थी। इन दावों में सबसे पहला दावा संस्थान ने एक विज्ञापन में किया था कि उसने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 200 से अधिक चयन हासिल किए हैं।
दूसरा दावे में इसके विज्ञापनों की टैगलाइन थी कि हम भारत के नंबर 1 प्रतिष्ठित यूपीएससी/ आईएएस कोचिंग संस्थान हैं।
जनवरी में ही बताए थे नियम फिर भी नहीं माने कोचिंग संस्थान
इसी जनवरी में सीसीपीए ने व्यावसायिक कोचिंग संस्थानों के लिए दिशानिर्देशों का एक सेट प्रकाशित किया था, जिसमें विज्ञापनों से संबंधित अन्य नियमों के अलावा किसी भी प्रकार के गारंटी वाले दावे, जैसे ‘प्रिलिम्स’ में चयन या रैंक और स्कोर का दावा करना अपराध बना दिया गया था।
देश में इंजीनियरिंग और मेडीकल कॉलेजों में सीट पक्की करने की होड़ और सिविल सर्विस परीक्षाओं में सफलता की कम दर अक्सर उम्मीदवारों को डिप्रेशन या आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर भी मजबूर कर देती है। हर साल कई बच्चे इसी प्रेशर के चलते आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर होते हैं।
इसी कारण सरकार ने कोचिंग के विज्ञापनों को लोकलुभावन बनाने के खिलाफ नियमों को कड़ा करने का फैसला किया था। हाल ही में 28 जुलाई को दिल्ली में भारी बारिश के बाद अवैध बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में पानी भर जाने के बाद यूपीएससी कोचिंगों के खिलाफ लोगों का गुस्सा साफ निकल कर सामने आया था।
श्री राम कोचिंग के खिलाफ सीसीपीए ने फैसला सुनाया कि कोचिंग ने अपने कई पाठ्यक्रमों का प्रचार किया लेकिन कितने लोगों ने यह परीक्षा पास की इसका डाटा जानबूझकर छिपाया।
कोचिंग से इस मामले पर प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया लेकिन कोचिंग द्वारा इस मामले पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।
कोचिंग ने किया था 200 का दावा, क्लास से निकले केवल 9
कंज्यूमर कोर्ट ने कहा कि श्रीराम आईएएस ने 2022 में सफल उम्मीदवारों की 200 की संख्या का जो दावा किया था उनमें से वह केवल 171 उम्मीदवारों का विवरण ही दे पाए।
जब इन उम्मीदवारों की जांच की गई तो पाया कि सफल हुए अधिकांश लोगों का श्रीराम आईएएस से कोई सीधा योगदान नहीं था। इनमें से कई लोगों ने प्रिलिम्स और मेंस परीक्षा पहले ही पास कर ली थी।
इन 171 उम्मीदवारों में से 102 उम्मीदवार कोचिंग द्वारा निशुल्क दिए जाने वाले इंटरव्यू मार्गदर्शन कार्यक्रम का हिस्सा थे तो वहीं 55 निशुल्क टेस्ट कार्यक्रम का हिस्सा थे।
9 उम्मीदवार उनके क्लास रूम पाठ्यक्रम का हिस्सा थे तो वहीं 5 उम्मीदवार ऐसे थे, जो राज्य सरकारों और संस्थान के बीच में हुए एक करार के तहत विभिन्न राज्यों से आए थे।
सीसीपीए ने अपने फैसले में कहा कि कोचिंग संस्थान ने इन तथ्यों का खुलासा अपने विज्ञापनों में न करके उपभोक्ताओं को धोखा दिया है।
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