कीव। रूस और यूक्रेन के बीच ढाई साल से जारी जंग के बीच अब यूक्रेन ने रूस में घुसकर हमले तेज कर दिए हैं। यूक्रेनी सेना रूस की सीमा के 10 किमी अंदर तक पहुंच गई है। रूसी प्रांत कुस्र्क के गवर्नर एलेक्सी स्मर्नोव ने बताया कि हमलों को देखते हुए 76 हजार लोग घर छोड़ कर जा चुके हैं। यूक्रेन के 1 हजार से ज्यादा सैनिक, 20 बख्तरबंद गाडिय़ां और 11 टैंक रूस में मौजूद हैं। उन्होंने कई गांवों पर कब्जा कर लिया है। उनका अगला टारगेट सुद्जा शहर बताया जा रहा है। रूस-यूक्रेन जंग की शुरुआत के बाद से यूक्रेन की तरफ यह अब तक का सबसे बड़ा पलटवार है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में रूस के ओक्टाब्रास्को शहर में 15 सैन्य वाहनों का काफिला क्षतिग्रस्त नजर आ रहा है। यह शहर रूसी सीमा से करीब 38 किमी दूर है। हमलों को देखते हुए रूस ने कुस्र्क में कई टैंक और रॉकेट लॉन्चर भेजे हैं। वहीं रूस के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रविवार को पहली बार रूस पर हमले की बात कबूली है। जेलेंस्की ने कहा कि हमारी सेना जंग को रूस की जमीन पर लेकर जा रही है। उन्होंने साबित कर दिया कि वे इंसाफ बहाल करते हुए हमलावरों पर जरूरी दबाव डालने में सक्षम हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने सैनिकों का शुक्रिया अदा भी किया।
यूक्रेनी हमले की वजह से कुस्र्क प्रांत के न्यूक्लियर पावर प्लांट पर खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, यह प्लांट सुद्जा शहर से करीब 60 किमी दूर है। इस बीच इंटरनेशनल अटॉमिक एनर्जी एजेंसी के चीफ राफेल ग्रॉसी ने चेतावनी जारी की है। उन्होंने दोनों देशों से सावधानी बरतने की अपील की है, जिससे परमाणु दुर्घटना को रोका जा सके। इससे पहले 8 अगस्त को यूक्रेनी सैनिकों के घुसने के बाद कुस्र्क-ओब्लास्त प्रांत में इमरजेंसी लगा दी गई थी। यूक्रेन ने रूस के लिपेत्स्क प्रांत में बॉर्डर से 300 किमी दूर एक एयरफील्ड को भी ड्रोन के जरिए निशाना बनाया था। ये मिलिट्री एयरफील्ड रूस के फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर्स और 700 से ज्यादा शक्तिशाली ग्लाइड बम का बेस थी।
रूस इस एयरफील्ड का इस्तेमाल सुखोई और मिग जैसे फाइटर एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करने के लिए करता था। हमले के बाद रूस की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया था कि उसने यूक्रेन के 75 से ज्यादा ड्रोने को मार गिराया है। इनमें 19 लिपेत्स्क प्रांत में थे। जिस इलाके में यूक्रेनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी, वहां रूस की महत्वपूर्ण गैस पाइपलाइन मौजूद हैं। रूस इन पाइपलाइन के जरिए प्राकृतिक गैस को ट्रांसपोर्ट करता है।