Home देश – विदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन ही हो पर पदोन्नति हो

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन ही हो पर पदोन्नति हो

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भोपाल । छत्तीसगढ़ की भांति सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन पदोन्नति शुरू करने, मंत्रालय कर्मचारियों को वर्ष 2015 के निर्णय अनुसार तृतीय पदोन्नति देने सहित अन्य मांगों को लेकर मंत्रालय सेवा अधिकारी-कर्मचारी संघ ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को ज्ञापन सौंपा है। संघ ने कहा है कि मंत्रालय कर्मचारियों की मांगें 8 साल से लंबित हैं। उन्हें पूरा करना तो दूर उन पर कोई बात भी नहीं कर रहा है।
संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने बताया कि मध्य प्रदेश को छोडक़र देश के सभी राज्यों में कर्मचारियों को पदोन्नति दी जा रही हैं। यहां भी अलग-अलग प्रकरणों में हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अप्रैल 2016 में हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम समाप्त नहीं किया है, बल्कि पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान समाप्त किया है। ऐसे में पदोन्नति देने में क्या दिक्कत है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में चल रहे पदोन्नति में आरक्षण मामले में आने वाले फैसले के अधीन ही पदोन्नति दे दे। नायक कहते हैं कि मंत्रालय के अधिकांश कर्मचारियों को तीसरा समयमान वेतनमान दिया जा चुका है, उन्हें तृतीय पदोन्नति का वेतनमान भी दिया जाना चाहिए। सरकार ने विभागाध्यक्ष कार्यालय के कर्मचारियों को चौथा समयमान वेतनमान दे दिया है, पर मंत्रालय के कर्मचारियों को नहीं दिया गया। 2015 में लिए गए कैबिनेट के निर्णय अनुसार चौथे समयमान में चतुर्थ पदोन्नति का वेतनमान दिया जाए। उन्होंने सीधी भर्ती से नियुक्त कर्मचारियों को 70-80 प्रतिशत वेतन देने वाला नियम निरस्त कर पूर्व की भांति पूर्ण वेतन देने और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा एवं अन्य भत्ते देने की मांग की है।