भोपाल । एक दौर था, जब माध्यमिक स्तर के बाद करियर के तौर सबसे अहम विषय में पीसीएम को ही तवज्जो दी जाती थी। इसके बाद कम्प्यूटर का दौर आया, तब विद्यार्थियों का रुझान सीएस की ओर हुआ। वर्तमान में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सब्जेक्ट ने आकर्षित किया है। यहीं कारण है कि अब सीबीएसई स्कूल के दौर में बेहतर करियर के रूप में एआई विषय सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है।
स्कूलों में अतिरिक्त विषय के रूप में एआई को शामिल किया जा रहा है। शहर के सीबीएसई स्कूल भी अब एआर्ई की शिक्षा दी जा रही है। इसके जरिए न केवल विद्यार्थियों को तकनीक का ज्ञान दिया जा रहा है बल्कि उनकी रचनात्मकता को निखारने का भी प्रयास किया जा रहा है।
पांच वर्षों से पढ़ा रहे एआई
सीबीएसई ने करीब पांच वर्ष पहले एआई सब्जेक्ट को छठे विषय के रूप में पढ़ाने की शुरुआत की थी। इसके बाद से ही इंदौर के सीबीएसई स्कूलों में इसकी शुरूआत हुई है। कई स्कूलों ने कक्षा नौवीं तो कई ने कक्षा 11वीं से छटे विषय के रूप में एआई पढ़ाना शुरू किया है। निजी स्कूल प्राचार्य आभा जोहरी ने बताया कि हमारे स्कूल में करीब पांच वर्ष पहले एआर्ई विषय पढ़ाना शुरू किया गया है। इसके लिए कम्प्यूटर शिक्षक को नियुक्त किया गया। यह विषय छठे विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। कम्प्यूटर लैब में ही एआई के साफ्टवेयर और सीबीएसई द्वारा निर्धारित ऑनलाइन कंटेंट पढ़ाया जा रहा है। विद्यार्थी में इसमें काफी रुचि ले रहे है। कुछ नए सब्जेक्ट भी जोड़े गए है।
बेहतर भविष्य बना सकते हैं
अब विद्यार्थी और उनके स्वजन भी एआई विषय को लेकर जागरूक हो रहे है। सीबीएसई स्कूलों में एआई विषय को छठे विषय के रूप में लिया जा रहा है। इस छठे विषय में फिजिकल एजुकेशन, आइटी, सीएस आदि विषय भी है। लेकिन सबसे ज्यादा रूझान एआई को लेकर ही है। सीबीएसई मामलों के जानकार संजय मिश्रा ने बताया कि अधिकांश सीबीएसई स्कूलों में 11वीं कक्षा से मुख्य पांच विषय के अलावा छठे विषय के रूप में एआई पढ़ाया जा रहा है। इस विषय को पढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। करियर के लिहाज से एआई क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। वर्तमान में हर एक क्षेत्र में एआई का दखल बढऩे लगा है। ऐसे में आने वाले समय में एआई के क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर मिलेंगे। अभी तक विद्यार्थी इस विषय से जुडक़र अपना बेहतर करियर बना सकते है।
यह आ रही है दिक्कत
विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में कॉलेजों एआई विषय और कोर्स को लेकर ज्यादा विकल्प नहीं है। जिसके चलते स्कूलों में एआई विषय के लिए बेहतर शिक्षक मिलना मुश्किल हो रहा है। अधिकांश स्कूलों में कम्प्यूटर टीचर्स को ही ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है। वहीं कुछ स्कूलों में एआई टीचर उपलब्ध है।