हरियाली तीज को सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, परिघ योग, तैतिल करण, उत्तर का दिशाशूल, बुधवार दिन और सिंह राशि में चंद्रमा है. हरियाली तीज के दिन सुहागन महिलाएं और विवाह योग्य युवतियां व्रत रखती हैं, माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं. शिव और गौरी की कृपा से सुहागन महिलाओं को अखंड सोभाग्य मिलता है, उनके पति का आयु बढ़ती है. हरियाली तीज को सावन तीज भी कहते हैं क्योंकि यह श्रावण मास में पड़ती है. इस अवसर पर महिलाएं हरे रंग की साड़ी, सूट या अन्य पारंपरिक ड्रेस पहनी हैं. मेहदी लगाती हैं और झूला भी झूलती हैं. इसमें हरे रंग का उपयोग अधिक होता है क्योंकि सावन में हर तरफ हरियाली होती है. प्रकृति भी चारों ओर हरी-भरी नजर आती है. हरियाली तीज की पूजा में माता गौरी को 16 श्रृंगार की वस्तुएं जरूर चढ़ाएं.
हरियाली तीज के दिन बुधवार का व्रत है. इस दिन सुबह में आप विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करें. गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा, अक्षत्, हल्दी, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल, गंध आदि अर्पित करें. गणेश जी को मोदक प्रिय है तो मोदक या लड्डू चढाएं. फिर गणेश चालीसा और बुधवार व्रत की कथा पढ़ें. शाम में सूर्यास्त के बाद हरियाली तीज की पूजा करें. उसमें गणेश, गौरी और शिव जी की पूजा करें. बुधवार के दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करने से कुंडली का बुध दोष दूर होता है. मूंग का लड्डू गणेश जी को चढ़ाएंगे तो भी लाभ होगा. पंचांग से जानते हैं हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त, अशुभ समय, सूर्योदय, चंद्रोदय, राहुकाल, दिशाशूल, सूर्यास्त, चंद्रास्त के बारे में.
आज का पंचांग, 7 अगस्त 2024
आज की तिथि- तृतीया – 10:05 पी एम तक, फिर चतुर्थी
आज का नक्षत्र- पूर्वाफाल्गुनी – 08:30 पी एम तक, उसके बाद उत्तराफाल्गुनी
आज का करण- तैतिल – 08:56 ए एम तक, गर – 10:05 पी एम तक, फिर वणिज
आज का योग- परिघ – 11:42 ए एम तक, उसके बाद शिव
आज का पक्ष- शुक्ल
आज का दिन- बुधवार
चंद्र राशि- सिंह – 03:15 ए एम, 8 अगस्त तक, फिर कन्या
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 05:46 ए एम
सूर्यास्त- 07:07 पी एम
चन्द्रोदय- 08:06 ए एम
चन्द्रास्त- 08:55 पी एम
हरियाली तीज के मुहूर्त और योग
ब्रह्म मुहूर्त: 04:21 ए एम से 05:03 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: कोई नहीं
रवि योग: 08:30 पी एम से 05:47 ए एम, 8 अगस्त
अशुभ समय
राहुकाल- 12:27 पी एम से 02:07 पी एम
गुलिक काल- 10:46 ए एम से 12:27 पी एम
दिशाशूल- उत्तर
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
सभा में – 10:05 पी एम तक, उसके बाद क्रीड़ा में