कुरनूल जिला पवित्र तीर्थस्थलों के लिए मशहूर है. यहां के नंदयाला जिले में नल्लामल्ला वन क्षेत्र है.यहां भारती क्षेत्र नाम का एक तालाब है जहां ज्ञान की देवी सरस्वती स्वयं विराजती हैं.
कैसे हुआ भारती क्षेत्र का गठन?
देवी सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई, यह जानने से पहले हमें इस क्षेत्र के सात शिव मंदिरों के बारे में जानना होगा. पुराणों में कहा गया है कि जब कृतयुग में सात ऋषि लोक कल्याणार्धम यज्ञ करने आए थे तो अम्मावरु यज्ञ के संरक्षक के रूप में महासरस्वती के रूप में यहां आए थे.
यहां एक साथ हुई 7 शिव मंदिरों की स्थापना
इसके अलावा, सात ऋषियों ने लोक कल्याणार्धम यज्ञ के दौरान उस सर्वोच्च भगवान की कृपा पाने के लिए सात शिव मंदिरों की मूर्तियों की स्थापना की. इसमें प्रत्येक शिवलिंग के अलग-अलग नाम से मंदिर स्थापित किये गए हैं. श्री वासवी समेता श्री कश्यप लिंगेश्वर स्वामी, श्री देवी भूदेवी समेता जगन्नाध स्वामी, श्री कौमारी देवी समेता वशिष्ठ लिंगेश्वर स्वामी, श्री माहेश्वरी देवी समेता जमदग्नि लिंगेश्वर स्वामी, श्री ब्रह्मादेवी समेता गौतम लिंगेश्वर स्वामी, श्री इंद्राणी समेता भारद्वाज लिंगेश्वर स्वामी, श्री वाराही देवी समेता श्री अत्रि लिंगेश्वर स्वामी ने सात शिव मंदिरों की स्थापना की.
शिव मंदिरों की है अलग अलग विशेषता
भक्तों का मानना है कि यदि वे इन सात शिव मंदिरों में स्वामी के दर्शन करते हैं, तो यह पहाड़ियों से लिपटे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने जैसा है. एक ओर आध्यात्मिक केंद्र और दूसरी ओर पर्यटन केंद्र होने के कारण इस क्षेत्र की प्रकृति पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है. आसपास की पहाड़ियों और पास की नदी के पानी के बीच पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ मन को शांति देती है.
शहर को है बंदोबस्ती की जरूरत
मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस बात पर संतोष व्यक्त कर रहे हैं कि न तो देवदया विभाग और न ही पर्यटन विभाग ने इतना गौरवशाली क्षेत्र विकसित किया है. श्रद्धालुओं का कहना है कि बेहतर होगा कि सरकार बंदोबस्ती के तहत इस क्षेत्र पर ध्यान दे और मंदिर को और विकसित करे.