Home देश – विदेश माँ का दूध शिशु की सुरक्षा का पहला टीका : उप-मुख्यमंत्री शुक्ल

माँ का दूध शिशु की सुरक्षा का पहला टीका : उप-मुख्यमंत्री शुक्ल

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भोपाल : उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि माँ का दूध शिशु की सुरक्षा का पहला टीका है। यह शिशु के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आवश्यक पोषक तत्व से परिपूर्ण होता है साथ ही शिशु में रोग-प्रतिरोधक क्षमता के विकास में सहायक है। उन्होंने एनएचएम कार्यालय में स्तनपान के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के लिए सतत प्रयास करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सही समय में और उचित अवधि तक स्तनपान शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सहायक होगा। उप-मुख्यमंत्री ने मीडिया प्रतिनिधियों से स्तनपान के प्रति जागरूकता लाने के लिए सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया।

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि माताएं जन्म के 1 घंटे के भीतर नवजात शिशु को स्तनपान प्रारंभ कर दें। नवजात शिशु जन्म से पहले छः माह तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। इसके बाद ही पूरक आहार की शुरूआत की जानी चाहिये। शिशु के 2 वर्ष होने तक स्तनपान जारी रखना चाहिये। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-21) अनुसार जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान की शुरूआत 41.3 प्रतिशत हुई है। यह एनएफएचएस-4 (2015-16) की तुलना में 6.9 प्रतिशत अधिक है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश, 10 राज्यों में से एक है जिसमें यह सूचकांक में वृद्धि हुई है।

उप-मुख्यमंत्री शुक्ल ने बताया कि भोपाल के जयप्रकाश अस्पताल एवं शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल में मानव दुग्ध बैंक (सीएलएमसी) संचालित है। इसके माध्यम से गर्भवती एवं धात्री माताओं को समुचित स्तनपान के लिए सहयोग प्रदाय किया जाता है एवं माताओं को दुग्ध दान के लिए प्रेरित किया जाता है। संग्रहित मानव दुग्ध, अस्पताल में भर्ती अत्यधिक कम वजन / प्रीमैच्युर एवं चिकित्सकीय जटिल नवजातों/अनाथ भर्ती शिशुओं के उपयोग में लाया जाता है। आगामी समय में मानव दुग्ध बैंक का चरणबद्ध रूप से प्रदेश में विस्तार किया जाएगा।

एमडी एनएचएम प्रियंका दास ने बताया कि स्तनपान के प्रति जागरूकता लाने के लिए विभाग द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। दस्तक अभियान में मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के परिवारजनों को स्तनपान संबंधी व्यवहारों पर परामर्श दिया जा रहा है। ऐसी माताओं जिन्हें स्तनपान में कोई परेशानी है तो उन्हें ए.एन.एम. द्वारा अथवा निकटस्थ हेल्थ एण्ड वेलनेस क्लीनिक में सी.एच.ओ. द्वारा उपचार के लिये रेफर किया जाता है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए मैदानी अमले को सतत रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

संचालक आईईसी डॉ रचना दुबे ने बताया कि इस वर्ष "क्लोज़िंग द गैप: ब्रेस्टफ़ीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल" थीम पर जागरूकता गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य संस्था में स्तनपान प्रोत्साहन से जुड़ी कमियों का आंकलन, कमियों के निवारण के लिये आवश्यक संसाधन एवं उपलब्ध मॉनिटरिंग टूल का उपयोग, स्तनपान प्रोत्साहन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार एवं सतत् निगरानी सुनिश्चित करना शामिल है। बैठक में संचालक एमसीएच डॉ. अरुणा कुमार, संचालक एनएचएम के.के. रावत सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।