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कभी श्मशान से घिरा हुआ था ओंकारेश्वर मंदिर, ब्रह्मा के अनुरोध पर प्रकट हुए महादेव…

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 काशी का ओंकारेश्वर महादेव मंदिर अद्वितीय है।

एक समय यह स्थान चारों ओर से श्मशान से घिरा था। मान्यता है कि यहां कोई भी श्रद्धालु सच्चे हृदय से शिव उपासना और अभिषेक करता है तो उसे मनोवांछित फल मिलता है।

पं. रामेश्वरनाथ ओझा ने बताया कि काशी के छित्तनपुरा स्थित इस मंदिर में पूजन से भगवान मोक्ष प्रदान करते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर का प्रमाण काशी खंड के 86वें अध्याय में मिलता है।

यही नहीं शिव महापुराण में इनके प्राकट्य और महात्म्य की कथा उल्लेखित है। बताया जाता है कि यहां शिव पंचायत के पांच प्रतीक थे, लेकिन वर्तमान में तीन शिवलिंग जिनमें अकारेश्वर, ओंकारेश्वर और मकरेश्वर ही रह गए हैं।

काशी के अविमुक्त क्षेत्र में ओंकारेश्वर का स्थान श्रेष्ठ है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से विश्व के समस्त शिव मंदिरों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।

ब्रह्मा के अनुरोध पर प्रकट हुए महादेव

यहां पर ब्रह्मा ने तपस्या की थी। सृस्टि के निर्माण के बाद उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया था जिसके बाद भोलेनाथ इस स्थान पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। मंदिर के दर्शन मात्र से अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है।

जानें भगवान शिव के प्रिय मंत्र व जपने के लाभ-

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।

तन्नो रुद्र प्रचोदयात।।

अर्थ हे परम पुरुष, देवों के देव महादेव आप विशेष बुद्धि के धारक हैं, आप करुणा और दया सदा हम पर बनाए रखें।

लाभ- इस मंत्र का जप करने से मनुष्य का कल्याण होता है। इस शिव गायत्री मंत्र से समस्त पापों का नाश होता है।

ॐ र्त्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

अर्थ हे तीन नेत्रों वाले महादेव, हमारे पालनहार, पालनकर्ता, जिस प्रकार पका हुआ खरबूजा बिना किसी यत्न के डाल से अलग हो जाता है, कृपया कर हमें भी उसी तरह इस दुनिया के मोह-माया के बंधनों और जन्म मरण के चक्र से मुक्त कर मोक्ष प्रदान कीजिए।

लाभ- इस मंत्र का जप करने से अकाल मृत्यु का डर दूर होता है। इससे असाध्य रोग भी शांत हो जाते हैं। इसके अलावा इस मंत्र के जप से हर तरह के सुख मिलते हैं।

यह आलेख धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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