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दिल्ली सरकार और राजनिवास के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू

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नई दिल्ली । दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे के बाद संबंधित विभागों के साथ मंत्रालय और विधायक सभी की नींदे टूटी हैं और वे एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताते हुए खुद का पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। राव आईएएस स्टडी सर्किल में हुई घटना का जो मुख्य कारण सामने आ रहा है वह है नालों को साफ न किया जाना और जलभराव को लेकर व्यापक तैयारियों का न होना। जिसे लेकर दिल्ली सरकार का शहरी विकास मंत्रालय और राजनिवास अब आमने-सामने हो गया है। दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि किसी भी शहर में जलभराव की समस्या निपटने का एकमात्र तरीका है मानसून से पहले नालों की सफाई करना। लेकिन बतौर विधायक मुझे पता है कि इस बार नालों की सफाई जिस तरह होनी चाहिए, उस तरह नहीं हुई। नालों की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा बार-बार नालों के सफाई की स्टेट्स रिपोर्ट मांगने के बाद भी उन्हें संबंधित रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हादसे के बाद जब उन्होंने रविवार को जलभराव को लेकर 28 जून की एक बैठक का वीडियो एक्स पर साझा किया तो बीजेपी ने सवाल उठाया कि यह बैठक पहले क्यों नहीं कि गई? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, बतौर शहरी विकास मंत्री उन्होंने जलभराव रोकने की योजना को लेकर पहली बैठक 13 फरवरी को बुलाई थी। मगर मुख्य सचिव समेत संबंधित विभाग एमसीडी, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, एनडीएमसी और अन्य के प्रमुख उस बैठक में नहीं पहुंचे। भारद्वाज ने कहा कि लेकर 23 फरवरी को उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नाराजगी भी जाहिर की थी और उस मामले में उन्होंने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, राजनिवास के आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि नालों से गाद साफ करने की व्यापक योजना से जुड़ी फाइल, जिंसमें राजधानी के 18 मुख्य नालों की सफाई और रखरखाव के लिए एकीकृत प्राधिकरण के तहत जल निकासी प्रबंधन को समेकित करना और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दिल्ली के लिए एक मास्टर जल निकासी योजना तैयार से संबंधित प्रस्ताव है, वह अगस्त 2023 से मंत्री सौरभ भारद्वाज के पास लंबित पड़ी है। सूत्रों ने बताया कि, उस योजना को तीन सदस्यीय समिति ने तैयार की थी, जिसमें नगर निगम के आयुक्त, लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव और दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल थे। जुलाई 2023 में मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों की एक कार्यशाला औयोजित की थी। इसमें हुए विचार- विमर्श के आधार पर तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। जिसने 7 अगस्त 2023 को एक व्यापक प्रस्ताव पेश किया था। जिसे तीनों अधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर से आठ अगस्त 2023 को मुख्य सचिव के पास भेजा गया था।