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छत्तीसगढ़-कोरबा का स्वास्थ्य टीम ने सौंपा जांच प्रतिवेतन, पहाड़ी कोरवा व अन्य किशोरी की बुखार और पीलिया से हुई मौत

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रायपुर.

कोरबा जिले में ग्राम गुरमा की कुमारी विमला और डूमरडीह बलीपुर कोरवा बसाहट निवासी कुमारी मंगला की हुई मृत्यु के संबंध में बुधवार को खण्ड चिकित्सा अधिकारी कोरबा एवं पीएचसी श्यांग की टीम ने अपना जांच प्रतिवेदन सीएमएचओ को प्रस्तुत किया है। जांच प्रतिवेदन के बाद सीएमएचओ कोरबा डॉ. एस एन केसरी के अनुसार प्रभावित मरीज एवं आसपास के ग्रामों का भ्रमण व निरीक्षण तथा स्वास्थ्यकर्मी एवं परिजनों से पूछताछ एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दोनों लड़कियों की मौत बुखार और पीलिया की वजह से हुई है।

उन्होंने बताया कि 15 वर्ष की मृतिका विमला मंझवार बुखार होने के कारण आई। इनके द्वारा मितानिन या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नहीं बताया गया तथा शाम को 108 एम्बुलेंस के माध्यम से मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, जीएमसी कोरबा लेकर जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई। जीएमसी कोरबा से प्राप्त शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण एक्यूट लीवर फेल्योर विद सीवीयर जान्डिस होने की संभावना व्यक्त की गई है। इसी तरह डूमरडीह बलीपुर कोरवा बसाहट, पंचायत लबेद की रहने वाली 12 वर्षीय मृतिका मंगला राम कोरबा  13 जुलाई को शाम लगभग 06 बजे पूर्व निवास पहाड़ के उपर से बुखार होने के कारण कोरबा पहुंची। इनके द्वारा निजी माध्यम से ईलाज करवाते हुये मितानिन कौशिल्या को सूचना दी गई। मितानिन के द्वारा अगले दिन आरडी किट से मलेरिया जांच किया गया। बीमारी के तीसरे दिन सूचना दी गयी कि मरीज बेहोश है। उसे देखने गीतकुंवारी से ममता कंवर सीएचओ, एमटी और सेक्टर से आरएमए ओ. पी. धृतलहरे पहुंचे। स्थिति गंभीर होने के कारण 108 से संपर्क किया गया और  शाम लगभग  06 बजे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, जीएमसी कोरबा उपचार हेतु भेजा गया। जीएमसी कोरबा से प्राप्त शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण एक्यूट लीवर फेल्योर विद सीवीयर जान्डिस बताया गया है।

सीएमएचओ से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में उक्त क्षेत्रों में सतत् निगरानी रखी जा रही है एवं स्वास्थ्य शिविर लगाये जा रहे हैं। वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने जिले के समस्त मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में सतत् दौरा करते रहें व बुखार, दस्त, पीलिया के मरीज मिलने पर प्राथमिक उपचार पश्चात सेक्टर चिकित्सक, बीएमओ एवं जिला कार्यालय को सूचित करें। जिले में मलेरिया जांच तथा ईलाज एवं दस्त के लिये ओआरएस एवं जिंक की दवाईयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।