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असम में बढ़ती मुस्लिम आबादी पर राजनीति शुरु, सीएम हिमंत को टीएमसी ने खूब सुनाई खरी खरी

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गुवाहाटी। असम में बढ़ती मुस्लिम आबादी पर राज्य के सीएम हिमंत विस्व सरमा के बयान ने सियासी हलचल मचा दी है।  मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके राज्य में मुस्लिम आबादी बढ़कर अब 40 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में जनसांख्यिकी परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है। असम सीएम ने कहा, मैं असम से संबंध रखता हूं और जनसांख्यिकी परिवर्तन मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। मेरे राज्य में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत है, जो 1951 में 12 प्रतिशत थी। यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि जीवन-मरण का सवाल है। इस पर टीएमसी नेता सुष्मिता देव ने कहा कि तथ्य सरासर झूठ हैं। देव ने कहा कि वह (हिमंत बिस्व सरमा) कह रहे हैं कि 1951 में असम में 12 प्रतिशत मुसलमान थे जो आज 40 प्रतिशत हो गए हैं। लेकिन सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1951 में ही असम में 25 प्रतिशत मुसलमान थे। मैं मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहती हूं कि 2021 में जनगणना होनी थी जो आज तक नहीं की गई है। 40 प्रतिशत का आंकड़ा कहां से आया?
सुष्मिता ने कहा, मैं कहना चाहती हूं कि उनके तथ्य सरासर झूठ हैं। पहली बात यह है कि 1951 में 12 पर्सेंट मुसलमान थे जबकि सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि तब वहां 25 प्रतिशत मुसलमान थे। एक बॉर्डर राज्य है। बांग्लादेश से हमारी सीमा जुड़ी है और बंटवारे के बाद बहुत से लोग यहां रह गए और बहुत से लोग बांग्लादेश से यहां आए। टीएमसी नेता ना कहा, मैं मुख्यमंत्री को यह याद दिलाना चाहती हूं कि 2021 में भारत सरकार को जनसंख्या की गणना करवानी थी, आपने कोडिव के बहाने आजतक जनगणना नहीं कराई तो यह 40 प्रतिशत का आंकड़ा कहां से आया? क्योंकि यह सरासर झूठ है। सुष्मिता ने आगे कहा, तीसरी बात यह है कि आप हिंदू-बांग्लादेश बॉर्डर को अब तक सील नहीं कर पाए हैं। डबल इंजन की सरकार सिर्फ 17 पर्सेंट कर पाई है। पिछले 20 सालों से बॉर्डर सील करने का काम चल रहा है। देश में हर धर्म के लोग रहते हैं, उन्हें भड़काने वाला जो झूठा बयान आप दे रहे हैं यह देश हित में नहीं है। 2024 चुनाव के रिजल्ट से साफ है कि लोगों ने कॉम्युनल पॉलिटिक्स को नकार दिया है। आपको इस झूठे बयान को वापस लेना चाहिए।