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उत्तर कोरिया के राजनयिक ने पत्नी-बच्चों समेत दक्षिण कोरिया में ली शरण, क्यूबा में थे तैनात

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सियोल। दक्षिण कोरिया की जासूसी एजेंसी ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया के एक राजनयिक ने दक्षिण कोरिया में शरण ली है। एजेंसी ने दावा किया कि शरण लेने वाले राजनयिक क्यूबा में उत्तर कोरिया के राजनीतिक मामलों के सलाहकार थे। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा ने कहा कि क्यूबा में राजनीतिक मामलों के उत्तर कोरियाई सलाहकार के पलायन की मीडिया रिपोर्ट्स सच हैं। लेकिन उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि दक्षिण कोरिया के प्रमुख अखबार ने अपनी रिपोर्ट में इसका दावा किया था और बताया कि उत्तर कोरिया के राजनयिक री इल क्यू पिछले साल नवंबर में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दक्षिण कोरिया आ गए थे लेकिन उन्होंने इस बारे में और विवरण नहीं दिया। हाल के वर्षों में उत्तर कोरिया के कई राजनयिकों ने दक्षिण कोरिया में शरण ली है और री इल क्यू का मामला इस श्रृंख्ला की नई कड़ी है। रिपोर्ट में री के हवाले से बताया गया है कि उन्होंने उत्तर कोरिया की राजनीतिक व्यवस्था से मोहभंग होने के चलते वहां से पलायन का फैसला किया था। वहीं दक्षिण कोरिया की एक समाचार एजेंसी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि री ने उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ गंभीर मतभेदों के बाद वहां से भागने का फैसला किया। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने अभी उत्तर कोरियाई राजनयिक के भागकर सियोल आने की पुष्टि नहीं की है। साल 1950-53 के कोरियाई युद्ध के समाप्त होने के बाद से लगभग 34,000 उत्तर कोरियाई लोग आर्थिक कठिनाइयों और राजनीतिक दमन से बचने के लिए दक्षिण कोरिया चले गए हैं।

उत्तर कोरिया में 30 स्कूली बच्चों की हत्या का दावा

दक्षिण कोरिया सरकार के एक अधिकारी के हवाले से दक्षिण कोरिया के मीडिया में दावा किया गया है कि उत्तर कोरियाई अधिकारियों ने पिछले हफ्ते माध्यमिक विद्यालय के 30 नाबालिग छात्रों को सार्वजनिक रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी। छात्रों ने कथित तौर पर यूएसबी पर संग्रहित दक्षिण कोरियाई नाटक देखे थे। इन यूएसबी को कथित तौर पर पिछले महीने सिओल से गुब्बारों के जरिए उत्तर कोरिया भेजा गया था। हालांकि दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने इस खबर की पुष्टि नहीं की। बता दें कि उत्तर कोरिया में दक्षिण कोरिया की मीडिया सामग्री को वितरित करने पर मौत की सजा का प्रावधान है। वहीं दक्षिण कोरिया की मीडिया सामग्री को देखने पर भी 15 साल जेल की सजा मिलती है।