सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता। बाद में उसे अपराधी बनाया जाता है।
फर्जी नोट के मामले में आरोपी की जमानत मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा कि हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य होता है।
हर किसी की एक मानवीय क्षमता होती है। यह मानना ठीक नहीं है कि जो अपराधी हैं भविष्य में सुधऱ नहीं सकते। बेंच ने कहा कि किसी अपराध के पीछे कई कारण भी होते हैं।
ये सामाजिक, आर्थिक या फिर पारिवारिक हो सकते हैं। विपरीत परिस्थितियों, गरीबी और संपन्नता के अभाव में भी अपराध का जन्म होता है।
किस मामले में चल रही थी सुनवाई
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में 2020 में नकली नोटों की तस्करी मामले में सुनवाई चल रही थी। एनआईए ने मुंबई अंधेरी इलाके में एक युवक को दो हजार रुपये के 1
193 नकली नोटों के साथ पकड़ा था। दावा किया गया था कि यह तस्करी का खेल पाकिस्तान से चल रहा है। इसके बाद से युवक हिरासत में ही थी।
उसने इसी साल फरवरी में मुंबई हाई कोर्ट में भी जमानत याचिका फाइल की थी। हालांकि कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चार साल से हिरासत में है। हैरानी वाली बात है कि यह केस आखिर कब खत्म होगा। बेंच ने कहा कि इस बात की चिंता है कि संविधान के अनुच्छेद 21 का पालन नहीं हो रहा है।
कोई भी मामला कितान भी गंभीर क्यों ना हो। उसको तत्काल सुनवाई का अधइकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट क्या यह भी भूल हो गए हैं कि सजा के तौर पर किसी की जमानत नहीं रोकनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी एजेंसी इस आधार पर जमानत का विरोध नहीं कर सकती कि मामला गंभीर है।
सुप्रीम कोर्ट ने दे दी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए आरोपी को जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपी मुंबई शहर नहीं छोड़ेगा और हर 15 दिन में एनआईए के कार्यालय या फिर पुलिस के पास अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएगा। बता दें कि इस मामले में दो अन्य आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
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