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मछली पालन में आंध्र प्रदेशअव्वल

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बीते दो दशक के दौरान देश में मछली की खपत काफी ज्यादा बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) की रिपोर्ट बताती है कि 2005 में एक व्यक्ति सालभर में औसतन 4.9 किलो मछली खाता था। लेकिन, 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 8.89 किलो तक पहुंच गया। इसका असर जाहिर तौर पर मछली की मांग पर पड़ा और मछली पालने के व्यवसाय ने जोर पकड़ा।अगर राज्यों की बात करें, तो मत्स्य पालन और जलकृषि में आंध्र प्रदेश अव्वल है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी व्यवसाय में कुल हिस्सेदारी 40.9 फीसदी है। इसके बाद पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार का नंबर आता है।मत्स्य पालन में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 2011-12 में 24.6 फीसदी थी, जो 2022-23 में घटकर 14.4 फीसदी हो गई। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से उत्पादन के मूल्य पर सांख्यिकी कार्यालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा और बिहार ने अपना हिस्सा बढ़ाया है।

मत्स्य पालन और जलकृषि का उत्पादन 2011-12 में लगभग 80,000 करोड़ रुपये था। यह एक दशक यानी 2022-23 में बढ़कर लगभग 1,95,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। समुद्री मछली पकड़ने के उत्पादन में झींगा का दोनों तरह से उत्पादन शामिल है, चाहे उन्हें समुद्र से पकड़ा गया हो, या फिर जमीन पर पाला गया हो।2011-12 से 2022-23 के बीच पशुधन सब-सेगमेंट का उत्पादन भी लगातार बढ़ा है। इस दौरान पशुधन से होने वाले दूध, मांस और अंडे का उत्पादन बढ़ा है। पशुधन सब-सेक्टर के उत्पादन का लगभग एक चौथाई हिस्सा उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आया। वहीं, तमिलनाडु का उत्पादन तेजी से बढ़ा।