पड़ोसी देश श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद अब स्वास्थ्य संकट गहरा गया है।
इसका आलम यह है कि पिछले दो साल में 1700 डॉक्टर देश छोड़कर भाग चुके हैं। यह श्रीलंका के कुल डॉक्टरों की आबादी का 10 फीसदी है।
श्रीलंकाई डॉक्टरों के देश छोड़ने की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। कोविड के बाद से ही तमाम तरह की परेशानियां झेल रहे श्रीलंका में अब लोगों को इलाज भी नहीं मिल पा रहा है।
डॉक्टरों की कमी के कारण राजधानी कोलंबो से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित अनुराधापुरा टीचिंग हॉस्पिटल के चिल्ड्रेन वार्ड को बंद करना पड़ा है।
कोलंबो से सटे एक और अस्पताल में एनिस्थिसिया विभाग के डॉक्टरों की कमी की वजह से सारे ऑपरेशन को आपातकाल के लिए स्थगित कर दी गई है।
अल जजीरा की एक रिपोर्ट में श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री रमेश पाथिराना के हवाले से कहा गया है कि देशभर में करीब 100 से ज्यादा अस्पताल बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।
श्रीलंका छोड़कर विदेश जा रहे डॉक्टरों का आरोप है कि उन्हें देश में ना तो पैसा मिल रहा है और ना ही सम्मान मिल पा रहा है।
ऊपर से अत्यधिक महंगाई की वजह से उन्हें कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन करना पड़ रहा है। ड़ॉक्टरों को इन परिस्थितियों में अब अपने भविष्य और बच्चों की चिंता हो रही है, इसलिए वे देश छोड़कर बाहर जाना पसंद कर रहे हैं।
बता दें कि कोविड महामारी के तुरंत बाद श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व संकट में फंस गई थी। तब वहां लोगों को भोजन, दवा , ईंधन और कई अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए घंटों कतारों में इंतजार करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
इसमें डॉक्टर भी अपवाद नहीं थे लेकिन जब डॉक्टरों ने विशेष ईंधन कोटा का अनुरोध किया, तो जनता का विरोध भड़क उठा था।
आज भी श्रीलंका के डॉक्टर अत्यधिक महंगाई, ईंधन की कमी, दवाओं की कमी, भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं।
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