राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार (RSS Leader Indresh Kumar) लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने के बाद राम मंदिर और भाजपा को लेकर दिए अपने पुराने बयान से पलट गए हैं।
उन्होंने शुक्रवार को कहा कि देश चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन और मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से वह खुश हैं।
इससे पहले उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना कहा था कि भगवान राम ने उन लोगों को 241 पर ही रोक दिया जो अहंकारी हो गए थे। इसको लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल भाजपा पर हमलावर हो गए थे।
आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने अब कहा है कि देश का माहौल इस समय में बहुत स्पष्ट है – जिन्होंने राम का विरोध किया, वो सब सत्ता से बाहर हैं, जिन्होंने राम की भक्ति का संकल्प लिया आज वो सत्ता में हैं और तीसरी बार की सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बन गई है। देश उनके नेतृत्व में प्रगति करेगा – लोगों में यह विश्वास है। हमें उम्मीद है कि यह विश्वास और बढ़ेगा और आगे भी इसी तरह फलेगा-फूलेगा।”
बता दें कि, आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने जयपुर में हुए एक कार्यक्रम में भाजपा पर उसके चुनावी प्रदर्शन को लेकर निशाना साधते कहा था, ”जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई उसे 241 पर रोक दिया गया… हालांकि वह सबसे बड़ी पार्टी बनी।”
उन्होंने कहा, “और जिन लोगों का राम में कोई विश्वास नहीं था, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया।” उनका इशारा ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर था जिसे इस चुनाव में 234 सीट मिले।
बयान पर विवाद बढ़ने से बदले सुर
भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, अब अपने बयान को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच इंद्रेश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि देश चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन और नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से वह खुश हैं।
उन्होंने कहा कि इस समय, ताजा खबर यह है कि जो भगवान राम के खिलाफ थे वे सत्ता से बाहर हैं और जो भगवान राम के भक्त थे वे सत्ता में हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति करेगा। वहीं, भागवत के भाषण पर चल रही बहस के बारे में पूछे जाने पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि बेहतर होगा कि आप संघ के अधिकृत पदाधिकारियों से ही इस बारे में पूछें।
आरएसएस ने पहले की तरह अपना काम किया
इंद्रेश कुमार के गुरुवार के बयान के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि यह उनकी निजी राय है और यह संघ के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाता है।
सूत्रों ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि आरएसएस इस बार भाजपा के समर्थन में उस तरह से चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं था, जिस तरह से वह पहले रहा है।
उन्होंने कहा, “आरएसएस प्रचार नहीं करता, लेकिन लोगों में जागरूकता पैदा करता है और उसने चुनाव के दौरान अपना काम किया। पूरे देश में हमने लाखों सभाएं की हैं। अकेले दिल्ली में हमने एक लाख से अधिक छोटे समूहों की बैठकें कीं।”
लोकसभा चुनाव के बीच, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री जेपी नड्डा की उस कथित टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर जिसमें कहा गया था कि भाजपा को आरएसएस की उस तरह जरूरत नहीं है जैसी उसे पहले जरूरत थी क्योंकि उसका अपना संगठन मजबूत हो गया है, उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस पर चर्चा की और फिर अपने काम में जुट गए।
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