रायपुर
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी राधिका दीदी ने कहा कि आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से जोडऩा ही राजयोग कहलाता है। चूंकि परमात्मा ही गुणों और शक्तियों का अविनाशी स्त्रोत हैं। अत: उनकी याद से हमें न सिर्फ सच्ची खुशी मिलती है वरन् हमारे जीवन से रोग और शोक भी मिट जाते हैं। सभी योगों में श्रेष्ठद्द होने के कारण ही इसे राजयोग कहा जाता है।
ब्रह्माकुमारी राधिका दीदी आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित आओ खोलें खुशियों के द्वार राजयोग अनुभूति शिविर के अन्तर्गत भारत का प्राचीन राजयोग विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने आगे कहा कि गीता में वर्णित भारत का प्राचीन राजयोग सभी योगों में श्रेष्ठ है। योग का शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ अथवा मिलन। इसका विपरीत शब्द है वियोग अर्थात बिछुडऩा। मन और बुद्घि से परमात्मा को याद करना ही सच्चा योग है। अपने प्रेरक उद्द्दबोधन में उन्होने कहा कि राजयोग में शरीर को कष्ट नहीं देना है। आराम से बैठकर परमात्मा को याद करो। शुरू में मन एकाग्र नहीं होता है। मन में अनेक ईधर-उधर के ख्याल आएंगे लेकिन निराश होकर छोड़ नहीं देना है। पहले दो ढाई मिनट मेडिटेशन से शुरूआत करिए। धीरे-धीरे मन शान्त होने लगेगा। आपके विचार कम होते जाएंगे और योग में बहुत अच्छा अनुभव करने लगेंगे। योग में बैठकर अपने मित्र सम्बन्धियों सहित परिवारजनों को शुभभावनाओं के प्रकम्पन भेजें इससे हमारे सम्बन्ध भी सुधरते हैं।
ब्रह्माकुमारी राधिका दीदी ने योग के लिए ब्राह्म मुहुर्त को सबसे उपयुक्त समय बतलाते हुए कहा कि इस समय सभी लोग नींद में होते हैं इसलिए वायुमण्डल एकदम शान्त होता है। ऐसे समय परमात्मा को याद करने से कनेक्शन जल्दी जुट जाता है। राजयोग हमें परमात्मा के निकट ले जाता है। उन्होंने बताया कि राजयोग में परमात्मा का सत्य परिचय जान लेने के उपरान्त उन्ही बातों को याद करते हुए मन से परमात्मा को सम्बन्धपूर्वक याद किया जाता है। धीरे-धीरे एक अवस्था ऐसी प्राप्त होती है जब बुद्घि एकाग्र होने लगती है तथा संकल्प स्वत: ही कम हो जाते हैं। इस अवस्था में हमें आत्मा और परमात्मा के गुणों की अर्थात सुख, शान्ति, आनन्द, प्रेम, पवित्रता और शक्ति की दिव्य अनुभूति होने लगती है। कल से ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी के सान्निध्य में एडवान्स राजयोग शिविर प्रारम्भ होगा।