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प्रदेश के चार मंत्रियों पर लटकी तलवार! बस्तर से बढ़ेगी मंत्रियों की संख्या, इन्हें मिल सकता है मौका ….

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रायपुर । छह महीने का कार्यकाल पूरा होते ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपने मंत्रियों की कामकाज की समीक्षा शुरू करने की तैयारी में हैं। संभवत: कल सोमवार से वे हर मंत्री के विभागों की समीक्षा करेंगे और उसके बाद शुरू होगा फेरबदल का कार्यक्रम। संकेत मिले हैं कि माहांत तक साय सरकार का नया चेहरा प्रदेशवासियों के सामने आ जाएगा। यह संकेत भी दिए गए हैं कि बस्तर संभाग की दोनों संसदीय सीटों पर मिली कामयाबी के बाद सत्तारूढ़ दल राज्य मंत्रिमंडल में बस्तर की भागीदारी बढ़ाने की तैयारी कर रही है और इसके लिए विधायक विनायक गोयल, नीलकण्ठ टेकाम व चैतराम अटामी के नामों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस समय राज्य मंत्रिमंडल में केदार कश्यप के रूप में बस्तर को प्रतिनिधित्व मिला हुआ है।

साय मंत्रिमंडल में फेरबदल इसलिए जरूरी है कि मंत्रिमंडल में एक मंत्री का स्थान रिक्त रखा गया था। लोकसभा चुनाव में रायपुर दक्षिण के विधायक व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया गया, जिन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। नियमानुसार उन्हें 19 जून से पहले राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देना होगा। तब साय मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की कमी हो जाएगी। 19 जून से पहले मुख्यमंत्री साय मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर लेंगे, जिसके बाद उन्हें फैसला लेने में आसानी हो जाएगी।

भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अंदरूनी राजनीति में दखल रखने वालों के अनुसार मुख्यमंत्री अपने चार मंत्रियों के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। इनमें लखनलाल देवांगन, श्यामबिहारी जायसवाल, टंकराम वर्मा व श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े हैं। हालांकि सरकार को काम करने का अधिक वक्त अभी नहीं मिला है परंतु इसी अवधि में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरुण साव व ओपी चौधरी ने अपने कामों से सरकार को गतिमान किया है।

अनेक दावेदार 

मंत्रिमंडल में रिक्त दो स्थानों के अलावा हटाए जाने वाले चेहरों का स्थान लेने के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं। चर्चा की जा रही है कि पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर व राजेश मूणत प्रबल दावेदार हैं परंतु राजनीति में रुचि रखने वालों का मानना है कि इनमें से किसी को भी स्थान मिल पाना मुश्किल है क्योंकि तीनों नेता डॉमिनेटिंग हैं। चूंकि यही स्वभाव बृजमोहन अग्रवाल का भी था लिहाजा मंत्रिमंडल की बैठक में अन्य सदस्य सहज नहीं हो पाते थे। चूंकि सरकार खुलकर काम करने की तैयारी में है इसलिए ऐसे विधायकों को मौका दिया जा सकता है जिनमें काम करने की क्षमता दिखाई दे रही है। मंत्रिमंडल में फेरबदल करते वक्त क्षेत्रीय व जातीय संतुलन का भी ख्याल रखा जाएगा। इसमें सर्वाधिक फायदा बस्तर संभाग को होता दिखाई दे रहा है, जहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को शिकस्त देने वाले विनायक गोयल, अखिल भारतीय प्रशानिक सेवा छोड़कर आने वाले नीलकण्ठ टेकाम तथा दंतेवाड़ा के विधायक चैतराम अटामी में से किसी को मंत्री बनने का अवसर दिया जा सकता है।

चूंकि रायपुर से मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल अब सांसद निर्वाचित हो चुके हैं लिहाजा राजधानी को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने के लिए चेहरे की तलाश की जा रही है, जिसमें रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा का नाम सबसे ऊपर है। ओडिशा चुनाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उन्हें अवसर देने की बात की जा रही है परंतु तेरह सदस्यीय मंत्रिमंडल में दो ब्राह्णों (उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा) को स्थान देने भाजपा नेतृत्व के लिए मुश्किल होगा। ऐसे में दुर्ग और महासमुंद संसदीय क्षेत्र में साहू मतदाताओं के समर्थन को देखते हुए रायपुर ग्रामीण से विधायक मोतीलाल साहू को अवसर मिल सकता है।

लक्ष्मी राजवाड़े को हटाने की स्थिति में पत्थलगांव विधायक गोमती साय को अवसर मिल सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले उनसे लोकसभा से इस्तीफा दिलाकर पत्थलगांव से चुनाव लड़ाया गया था। मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए उनकी प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। इसके अलावा सीतापुर से पूर्व सैनिक विधायक रामकुमार टोप्पो भी एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। आरंग विधायक खुशवंत साहब तथा राजिम विधायक रोहित साहू भी उम्मीद कर सकते हैं। दुर्ग जिले से भिलाई विधायक रिकेश सेन के नाम पर भी चर्चा हो सकती है। अब देखना यह होगा कि किसका भाग्य प्रबल है।