जगदलपुर-राज्य सरकार की ओर से लिए गए नीतिगत प्रबंधकीय फैसलों से न सिर्फ राज्य तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत डगर के साथ रोजगार देने वाले राज्यों में भी अग्रणी बन रहा है. उम्मीद है कि भूपेश सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के साथ भूपेश मॉडल, देश का मॉडल बनेगा उक्त कथन जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहे।
उन्होंने बताया कि आज छत्तीसगढ़ निर्यात में केंद्र सरकार का जो लक्ष्य है उसमें पूरा सहयोग कर रहा है. निर्यात के लिए प्रदेश में बहुत संसाधन है. खनिज, प्राकृतिक संसाधन, वन उपज, आदि. इसलिए राज्य सरकार कार्गो विमान सेवा की माँग कर रही हैं, भारत में सबसे तेजी से उभरता कोई राज्य है, तो वह छत्तीसगढ़ है. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर छत्तीसगढ़ आज तेजी से विकास पथ पर अग्रसर है. पूरे देश में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था मॉडल की चर्चा है. राज्य के नीतियों को सराहना केंद्रीय स्तर पर भी मिल रही है।
नीतिगत फैसलों का असर
श्री शर्मा ने कहा कि भूपेश बघेल की सरकार कोरोनाकाल में जहाँ नौकरियाँ छिनी जा रही थी, जहां मजदूर वापस गांव लौट रहे थे, जहां आर्थिक संकट की चुनौतियां थी, वहां पर न सिर्फ रोजी-रोटी की व्यवस्था की, बल्कि रोजगार का संकट भी दूर किया. राज्य सरकार की दो योजनाओं ने इतना बड़ा कमाल किया कि आज वह अन्य राज्यों के लिए संजीवनी का कार्य कर रहा है. ये दो बड़ी योजनाएं नरवा-गरवा, घुरवा-बारी और गोधन न्याय जिसकी प्रशंसा पूरे देश मे होने लगी।
श्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने इन योजनाओं को प्रदेश भर में लागू कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के दिशा में काम किया. गांव के लोगों को ही गांव में ही रोजगार मुहैय्या कराया. विशेषकर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर गांव बनाने की दिशा में बड़ा काम किया. आज गांव-गांव में इसका व्यापक असर देखा जा सकता है. श्री शर्मा ने कहा कि यही वजह है कि देश में जहाँ बेरोजगारी दर 7.4 है, वहाँ छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 1.7 है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी की इस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में तीसरे क्रम पर है. राज्य सरकार की नीतिगत फैसलों की वजह से आज छत्तीसगढ़ इस मुकाम पर है.
राज्य में संचालित योजनाओं का कमाल
श्री शर्मा ने कहा कि दरअसल राज्य सरकार के हिस्से ये आंकड़े इसलिए आए हैं क्योंकि मुख्यमंत्री बघेल ने राज्य में समावेशी विकास का लक्ष्य निर्धारित करते हुए तीन साल पहले महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरूप नया मॉडल अपनाया था, जिसके तहत गांवों और शहरों के बीच आर्थिक परस्परता बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसी मॉडल के अंतर्गत गांवों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सुराजी गांव योजना, नरवा-गरवा-घुरवा-बारी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, रूरल इंडस्ट्रीयल पार्कों की स्थापना, लघु वनोपजों के संग्रहण एवं वैल्यू एडीशन, उद्यमिता विकास जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है. प्रदेश सरकार के द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नये-नये अवसर सृजित हो रहे हैं. इन योजनाओं से राज्य के विकास को गति मिल रही है, जिससे प्रदेश में बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है.
खेती को बढ़ावा, युवाओं में क्रेज
श्री शर्मा ने कहा कि वास्तव में छत्तीसगढ़ में बीते तीन साल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था न सिर्फ मजबूत हुई है, बल्कि कृषि आधारित राज्य में खेती को बढ़ावा भी मिला है. राज्य के युवा भी अब खेती की ओर लौट रहे हैं. छत्तीसगढ़ में आज पंरपरागत खेती के साथ-साथ नए-नए फसलों के साथ भी नवीन खेती भी की जा रही है. खास तौर पर राज्य में सब्जी और फल की खेती अब बड़े पैमाने पर होने लगी है. यही नहीं सरकार की ओर से सामुदायिक खेती पर भी जोर दिया जा रहा. महिलाएं भी आज समूह बनाकर खेती कर रही हैं.
कोरोना संकट के बीच भूपेश सरकार ने रोजगार के अवसर पैदा किए
श्री शर्मा ने कहा कि “कोरोना काल में हम सबके सामने बड़ी चुनौती थी. चुनौतियों के बीच कुशल रणनीति के तहत कांग्रेस की भूपेश सरकार ने राज्य में आर्थिक संकट को पैदा होने नहीं दिया. बेरोजगारी बढ़ने नहीं दी, बल्कि उसे कम करने का प्रयास किया. गोधन और सुराजी योजना के जरिए स्वरोजगार के नए-नए अवसर पैदा किए गए. इसका सीधा लाभ ग्रामीणों को हुआ. गोबर से पहले लीपाई होटी थी, लेकिन अब दीप, गुलाल, गमला, के बाद पेंट बनाया जा रहा है. यहाँ तक अब बिजली बनाने का काम भी जारी है. गाँवों मे नया औद्योगिकी पार्क स्थापित किया जा रहा है. इससे ग्रामीण उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ-साथ सीधे लोगों को रोजगार से जोड रहा है. सरकार की ओर ग्रामीण औद्योगिक पार्क के लिए 6 सौ करोड़ का प्रावधान किया गया है।