जगदलपुर। अपने तीन दिवसीय प्रवास पर सपरिवार बस्तर पहुंचे राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सुप्रसिद्ध अधिवक्ता ने बस्तर के पर्यटन स्थलों के साथ ही यहां की सांस्कृतिक विरासतों को भी देखा। चित्रकोट, तीरथगढ़, मेंदरी घुमर व तामड़ा घुमर जैसी जलप्रपातों सुंदरता के साथ ही बस्तर के लोगों की सरलता की भी जमकर प्रशंसा की। उन्होंने प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इन पर्यटन केन्द्रों के संरक्षण और स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसहयोग से किए जा रहे कार्यों की भी प्रशंसा की।
उन्होंने जगदलपुर में अंत्यावसायी वित्त विकास निगम द्वारा संचालित कोसा केन्द्र तथा चिलपुटी में हस्तशिल्पकारों द्वारा तैयार किए जा रहे बेलमेटल की कलाकृतियों का भी अवलोकन किया। इसके साथ ही उन्होंने आसना स्थित बस्तर आर्ट, डांस एवं लैंग्वेज एकेडमी बादल तथा बस्तर की जगदलपुर में दलपत सागर के किनारे निर्मित बस्तर आर्ट गैलरी कलागुड़ी का अवलोकन भी किया। उन्होंने आसना स्थित बादल एकेडमी में लोकनर्तकों द्वारा प्रस्तुत डंडारी नृत्य का आनंद भी लिया। उन्होंने बस्तर की लोकसंस्कृति के संरक्षण के लिए इस संस्थान के निर्माण के लिए राज्य शासन और जिला प्रशासन की जमकर सराहना की।
कलागुड़ी में श्वेता लुनिया और तमन्ना जैन द्वारा लगाई गई पेंटिंग एक्जिबिशन सहित स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गीत-संगीत के कार्यक्रम का आनंद लिया। इसके साथ ही उन्होंने दलपत सागर का भी भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ रहे अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री दिनेश नाग ने लगभग मृतप्राय हो चुके ढाई सौ पुराने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए स्थानीय जनसमुदाय, जिला प्रशासन और नगरीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने यहां किए गए सौन्दर्यीकरण के साथ ही दलपत सागर के संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की।