उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के ख़िलाफ़ जिस तरह से प्रशासन धड़ाधड़ मुक़दमे दर्ज करा रहा है उससे तो यही लगता है कि प्रशासन और सरकार को सबसे ज़्यादा ख़तरा पत्रकारों से ही है और आने वाले दिनों में राज्य की जेलों में शायद सिर्फ़ पत्रकार ही दिखें.
हाल के दिनों में पत्रकारों पर दर्ज हो रहे मुक़दमों और उनकी हो रही गिरफ़्तारी के सिलसिले में एक पत्रकार मित्र की यह टिप्पणी थी.
मिर्ज़ापुर में मिड डे मील में कथित धांधली की ख़बर दिखाने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि बिजनौर में फ़र्ज़ी ख़बर दिखाने का आरोप लगाकर पांच पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी गई.
वहीं आज़मगढ़ में एक पत्रकार की ख़बरों से परेशान प्रशासन ने उन पर धन उगाही का आरोप लगाकर एफ़आईआर दर्ज कराई और फिर गिरफ़्तार कर लिया.
नोएडा में पिछले दिनों कुछ पत्रकारों को गिरफ़्तार करके उनके ख़िलाफ़ गैंगस्टर ऐक्ट लगाने का मामला भी ज़्यादा पुराना नहीं है.