रायपुर। छत्तीसढ़ में सीएम को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया हैं.विधायक दल की बैठक में प्रदेश के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भूपेश बघेल को सीएम बनाने का फैसला लिया गया है.राज्य में भूपेश बघेलऔर टीएस सिंहदेव को लेकर माहौल बना हुआ था. राज्य की जनता और कांग्रेस कार्यकर्ता इन्हीं में से किसी एक को सीएम के रूप में चाह रहे थे.
राज्य में कांग्रेस की लहर के आगे सत्ताधारी बीजेपी धाराशाई हो गई. पार्टी की इस बड़ी जीत का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल. अपने आक्रामक तेवर के लिए पहचाने जाने वाले बघेल ने जब राज्य में पार्टी की कमान संभाली तो कांग्रेस कई मोर्चों पर संकट से जूझ रही थी. राज्य में कांग्रेस के पहली पंक्ति के नेता झीरम घाटी नक्सली हमलों में मारे जा चुके थे, जिसमें विद्याचरण शुक्ला, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा मुख्य तौर पर शामिल थे. ऐसे में पार्टी में न सिर्फ नेतृत्व का संकट था बल्कि लगातार तीन चुनाव हार चुकी पार्टी हताश थी.
बघेल को जो जिम्मेदारी मिली वो किसी चुनौती से कम न थी. उन्होंने न सिर्फ पार्टी में नई जान फूंकी, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का साहस किया. जब कांग्रेस के बड़े नेता मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ सॉफ्ट रुख अख्तियार किए हुए थे और यहां तक कि जोगी को बीजेपी की ‘बी टीम’ कहा जाने लगा था, तब बघेल ने विधानसभा के भीतर और बाहर बीजेपी सरकार पर सीधा हमला बोला. प्रदेश के कई मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरे, नसबंदी कांड, अंखफोड़वा कांड, भूमि अधिग्रहण को लेकर हुए विवाद पर उन्होंने पदयात्राएं कीं और रमन सरकार को घेरा. विधानसभा चुनाव से पहले बघेल की प्रदेश के कई हिस्सों में पदयात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा.