जगदलपुर। शहर का महारानी अस्पताल एक बार फिर कलंकित हुआ है। फिर से एक्सीडेंट में घायल युवकों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने में असफल रहा है। डिमरापाल पहुंचने से पहले ही एक माँ का लाल अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया और छोड़ गया अपने पीछे बिलखते परिवार को। रेफर सेंटर ही तो बनकर रह गया है महारानी अस्पताल और हम मौत का तमाशा देखने के बाद भी खामोश हैं।
घटना कल की है जब कुम्हारपारा निवासी बाइक सवार हरीबन्धु और सन्तोष आसना में ट्रक से टकरा गए। गम्भीर अवस्था मे घायल दोनों युवकों को पुलिस महारानी अस्पताल लेकर आई। डॉक्टरों ने गम्भीर चोट होने और इलाज की सुविधा न होने का हवाला देते हुए उन्हें मेकाज रेफर कर दिया। रास्ते में ही हरीबन्धु की मौत हो गई।
अब तक दर्जनों लोग गंवा चुके हैं अपनी जिंदगी
यह इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है। मेडिकल कॉलेज के डिमरापाल शिफ्ट हो जाने के बाद अब तक दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। गंभीर रूप से बीमार या घायल मरीज को जब भी महारानी अस्पताल लाया जाता है तो जरूरी संसाधनों की कमी का हवाला देकर उन्हें डिमरापाल रेफर कर दिया जाता है। ज्यादा दूरी होने की वजह से वहां पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देता है।
मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में भी गंभीर मरीजों के लिए इलाज़ की बेहतर सुविधा नहीं है। ट्रामा सेंटर न होने की वजह से सर में लगी चोट का इलाज नहीं हो पाता है।मरीज को रायपुर रेफर कर दिया जाता है जहां तक पहुंचने से पहले ही वे दम तोड़ देते हैं।
क्या बिल्डिंग बना देना ही विकास है?
सवाल फिर वहीं का वहीं है कि सत्ता में विगत 15 सालों से काबिज भाजपा सरकार और दो बार के विधायक रहे संतोष बाफना आज पर्यंत क्यों महारानी अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त नहीं बना पाए। सिर्फ बिल्डिंग बना देना विकास नहीं है बल्कि जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाना ही विकास है। विकास का दावा करने वाले शहर के अंदर ही शहरवासियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवा पाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल होगा बताने की जरूरत नहीं है।